भुजंग भूषण कैलाशपति
( Bhujang Bhushan Kailashpati )
तेरे दर पर शीश नवाता बाबा तेरे मंदिर जाता हूं
लोटा भर के जल चढ़ाऊं अर्पण करने आता हूं
तेरा नाम जपूं निशदिन बाबा तेरा ध्यान लगाता हूं
मंझधार में डूबी नैया शिव दिल का हाल सुनाता हूं
हे कैलाशी तू अविनाशी शिव नीलकंठ महादेव
डमरू वाले भस्म रमाए भोले सब देवों के देव
जटाओं में गंगा धारा भोलेनाथ है सबका प्यारा
गले में सर्पों की माला त्रिशूलधारी है तारणहारा
भोला भंडारी महादेव शंभु भर दे बाबा तू भंडारा
रामेश्वरम राम जपो गूंजे हर हर महादेव का नारा
हे शशि शेखर सदाशिव बाबा कालों के महाकाल
भुजंग भूषण कैलाशपति महेश्वर महिमा विशाल
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )