महल ( Mahal ) धूल में मिल के सब धूल भईल का पताका , का सिंघासन कवन भुल भईल आज दुनिया देख रहल चुप चाप ओके छप पन्ना में पढ़ल इतिहास भईल शान, शौकत आऊर तमाशा सब खाक भईल का पता कवन आग में जल के राख भईल तोप दागत रहे कबो सलाम ओके … Continue reading महल | Mahal Bhojpuri Kavita
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