माहिया | Mahiya

माहिया ( Mahiya ) कुछ माहिए * माना के प्रीत नहीं, मुख को मोड़ चले अपनी ये रीत नहीं ।। हमने न गुमान किया, अपने तो अपने, गैरों को मान दिया ।। दिल जां हम हार दिये मानो ना मानो, सब तुम पर वार दिए।। कांटें बन फूल गए, पाकर तुमको हम, लिखना ही भूल … Continue reading माहिया | Mahiya