मैं अकेला थोड़ी हूँ | Main Akela
मैं अकेला थोड़ी हूँ ( Main akela thodi hoon ) अन्धड़ों से भिड़ सके जो और भी सागर में हैं। मैं अकेला थोड़ी हूँ।। कुंद इन्दु रजत प्रभामय कामिनी सुरपुर हला सी। कोमलांगी पुष्पबाला हृदय रमणी चंचला सी। मैं भ्रमर हूँ इस कली का सोचकर सपने सजाये। कुछ दिनों पश्चात भ्रम टूटा तभी जब … Continue reading मैं अकेला थोड़ी हूँ | Main Akela
Copy and paste this URL into your WordPress site to embed
Copy and paste this code into your site to embed