मैं अक्सर मैं अक्सर गली में बजती तुम्हारी पायल के घुँघरुओं की रुनझुन से समझ लेता हूँ तुम्हारा होना…… बजती है जब-जब सुबह-शाम या दोपहर जगाती है दिल की धड़कन और देखता हूँ झांक कर बार बार दरवाजे से बाहर……. बहुत बेचैन करती है मुझे छनकती तुम्हारी पायल और खनकती पायल के … Continue reading मैं अक्सर
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