मैं माटी का दीपक हूँ

मैं माटी का दीपक हूँ जन्म हो या हो मरणयुद्धभूमि में हो कोई आक्रमणसरण के अग्निकुण्ड का हो समर्पणया पवित्र गंगा मे हो अस्थियों का विसर्जनमैं जलाया जाता हूँमाटी का दीपक हूँ ….अंत में इसी रजकण मे मिल जाता हूँमैं माटी का दीपक हूँमाना की नहीं हैसूर्य किरणों सी आभा मुझमेचंद्र सी नहीं है प्रभाअसंख्य … Continue reading मैं माटी का दीपक हूँ