मजबूरी/ लाचारी | Kavita

मजबूरी/ लाचारी ( Majboori )   सबको रखना दूरी है यह कैसी मजबूरी है कालचक्र का कैसा खेल कोई शक्ति आसुरी है   मजदूर आज मजबूर हुआ थककर चकनाचूर हुआ लहर कोरोना कैसी आई अपनों से भी दूर हुआ   मजबूर आज सारी दुनिया मुंह पर मास्क लगाने को सावधान रहकर जग में डटकर कदम … Continue reading मजबूरी/ लाचारी | Kavita