मन जीता,जग जीता ( Man jeeta jag jeeta ) मन की मुराद होत न पूरी अनन्त का है सागर, एक बाद एक की चाहत होता रहता उजागर। चंचल मन चलायमान सदैव चितवत चहुंओर, चाहत ऐसे सुवर्ण सपनें जिसका न है ओर। मन के वश में हो मानव इधर-उधर धावत है, सुख त्याग,क्लेश संजोए, समय … Continue reading मन जीता जग जीता | Man Jeeta
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