मन का आंगन | Man ka Aagan Kavita
मन का आंगन ( Man ka aagan ) बात अकेले पन की हैं । उसमें उलझे पन की है ।। उलझन में सीधा रस्ता । खोज रहे जीवन की है ।। कांटे भरे चमन में एक । तितली के उलझन की है ।। नहीं एक भी फूल खिला । सूने उस मधुबन की है … Continue reading मन का आंगन | Man ka Aagan Kavita
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