मन का लड्डू ( Man ka Laddu ) जाने कितने स्वप्न संजोए, मन का ताना बाना बुन। मन में लड्डू फूट रहे थे, जीवन में खुशियों को चुन। मन में मोतीराम बने हम, मन ही मन इठलाते थे। मन के लड्डू फीके ना हो, भावन ख्वाब सजाते थे। मन ही मन में ठान लिया, … Continue reading मन का लड्डू | Man ka Laddu
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