निंदा से मन मलीन ( Ninda se man maleen ) करना चाहो जगत में पुण्य के सब काम करो। निंदा करके तुम खुद को यूं ना बदनाम करो। क्यों मन मलीन करते हो क्या ठहरा पानी है। निंदा करना नीचता की बस एक निशानी है। क्यों कलह करते हो तुम खड़ी दीवार ढहाते हो। … Continue reading निंदा से मन मलीन | Man Maleen
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