मानव तन पाकर भजा न प्रभु को मानव तन पा करके, भजा न प्रभु को जो। यह अनमोल जीवन अपना, वृथा ही दिया उसने खो। मानव तन पा करके, भजा न प्रभु को जो। गया ठगा द्वारा ठगिनी माया के। झूठा रंग चढ़ाया अपनी काया पे। छोड़ फूल बीज कांटे का, लिया बो जो। यह … Continue reading मानव तन पाकर भजा न प्रभु को
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