मांझा | Manjha par kavita

मांझा ( Manjha )   मान जा रे मान जा रे माँझे अब तो जा मान गर्दन काट उड़ा रहा है क्यों लोगों की जान ? डोर न तेरी टूटती है तू साँसों को तोड़े गर्दन कटी देख बच्चों की माँ बाप सिर फोड़े तलवार है रह म्यान में मत ना सीना तान मान जा … Continue reading मांझा | Manjha par kavita