मनजीत सिंह की कविताएँ | Manjit Singh Poetry

सावन की फुहार मैं यहाँ खड़ा हूँऔर अपनी खिड़की के बाहरबारिश को गिरते हुए देख रहा हूँ।कई दिनों से बारिश नहीं हुई है,लेकिन जब होती है,तो क्या रात में नहीं होती?हर पौधा और हर फूलइस गर्मी की बारिश के लिए बहुत आभारी है।मैं लोगों को बिना एहसास किएभीगे हुए बालों के साथ देखता हूँ।वे अपने … Continue reading मनजीत सिंह की कविताएँ | Manjit Singh Poetry