Manjit Singh

मां

मां है तो जन्नत है
मां से ही मन्नत है
मां घर का उजाला है
मां ने जन्म दिया
मां ने ही पाला है
मां घर की आन बान और शान है
मां पूरे विश्व में सबसे महान है
मां सुबह है
मां शाम है
मां घर का चिराग है
मां से हम उज्जवल है
मां हम आप की तितली
मां आप फूल है
हम आप की गोद में बैठे हुए
हमेशा प्यार लुटाएगी
मां तेरे हाथों का तकिया
कैसे सजाएं
मैं आज भी रात को सोता हूं
तकिया जो था वो महसूस कर रहा हूं आज
छोटा बच्चा बनकर खूब रोता हूं
मां तू स्वर्ग है
तू जहान है
तुम सर्वशक्तिमान है
मां तू इमानदार है
वफ़ा की प्रतिमूर्ति है
हमारी अन्तर आत्मा है
हमेशा मुसीबत से छुटकारा देने वाली
मां तुम समुद्र की लहर है
तुम फूल हम भंवरें है
तुम बुलबुल हो मां
आपकी माथे पर पड़ी सिकन
हमेशा कामयाबी की कहानी है
मां हमें जनून देती है
समाज से लडने व जुड़ने की ताकत है मां
मेरी मां का चेहरा इतना सुन्दर है
उनके आगे फ़रिश्ते और परियां फीकी हैं
मां तुम धन्य हो
जिसने मुझे जन्म दिया
नेक रस्ते पर चलना सिखाया।
मां तुम मां हो
जन्नत हो।

मजदूर का काम

यह ताजमहल
यह गगनचुंबी इमारतें
यह स्वर्ण मंदिर
यह चाँदी का महल
जब मेरी टूटी हुई छत का
आभार व्यक्त करतें हैं

ये इन चिप्स को चिकना करते हैं
यह रोटी, ये डबल रोटी,बार,ब्रेड
यह पनीर इन आहारों का
जब मेरा भूखा पेट
का मजाक उड़ाते हैं सब लोग

ये बिजली के खंभे
यह हीटर ,एयर कंडीशनर
ये सोफे,बेड ये कुर्सियां
जब मेरे पसीने पर
नफरत का इत्र छिड़कते हैं

यह ट्रक, यह ट्रैक्टर
ये नहरें, ये बांध
इन सड़कों का जो ये पुल बनाते हैं
जब मेरे घायल हाथ
और टूटी हड्डियों तक
उनकी उपेक्षा करते हैं

यह मंदिर, गुरुद्वारा
ये चर्च, मस्जिद,अभयारण्य चारा
यह शिवलिंग संगमरमर का
जब मेरी मेहनत है
रुपये में विनिमय ,

हाथ से गुणा करना
यह पूरी व्यवस्था
जब मेरे कूल्हे सिकुड़ जाते
और छोटी आँखों पर
बेतहाशा हंसता है।

जानिए सच्चाई
मेरा दिल करता है
मैं आत्महत्या कर लूं या करने जा रहा हूं

मेरे बिना
जैसा है वैसा दिखाओ?

कारखाना ( मजदूर वर्ग पर )

सुबह जल्दी से
अपनी बीवी को
कहकर दिन को
भोजन तैयार
कराकर
तब कारखाने
जाकर अपनी
मेहनत करनी
उन मशीनों
पर जो हमेशा
छटपटाती रहती
है
एक अजीब सी
आवाज लेकर
जो कानों को
बहरा
आंखों को
अन्धा
व खड़े रहने
से
पैरों से लंगड़ा
तब दिमाक
भी उसे कारखाने
की तरह
नहीं चलता
नहीं दिमाक में रोशनी
दिमाक के सभी
कल-पुर्जे
कारखाना मालिक
के पास जमा
कई साल
सै
बाद में
कहता है
अब तुम से
काम नहीं होता
न ही मेहनत
के समय पर
पैसे
येें है कारखानों
के हालात
और
आज की व्यवस्था
जो गरीब
तबका
बदलना तो
चाहता है
वही राजनीति
घुस जाती है
उसका नकारे
मे और
घर बैठ जाता
है लंगड़ा, अंधा
व बहरा बन
पूरा परिवार
उसे पागल कहकर
चिड़ाता है
ये कारखानों का
नतीजा।

सोच विचार

समझ मैं नहीं आता
लोगों के कैसे विचार
और कुछ है
इन विचारों में
पूरी दुनिया
समाई हुई है
लेकिन
इस संसार में
अलग-अलग चेहरे हैं
अलग अलग सोच है
अलग-अलग विचार हैं
पता नहीं मुझे
ऐसा क्यों लगता है
सभी के विचार
ज्यादातर के विचार
महिला विरोधी है
महिलाएं जींस पहनती है
महिलाएं टॉप पहनती है
और आजकल प्रचलन की सभी वस्तुएं पहनती है
लेकिन मर्दों की सोच
दिन प्रतिदिन
खराब होती जा रही है
वह कहते हैं
लड़कियों को यह खाना है
लड़कियों को यह पहनना है
लड़कियों को यहां जाना है
मतलब मतलब
सभी के सभी
काम
आज मर्दों के हाथ में है
आज भी वही टाइम है
जो आज से सौ वर्ष पहले था
मुझे लगता है
समाज
बदला तो है
और स्त्रियों या महिलाओं के पक्ष पर नहीं
आज भी वैसे ही सोच रखते हैं
जैसी पहले रखते थे
और पीछा करते हैं
सभी
मर्द उन लड़कियों का
घर से महाविद्यालय
विद्यालय पढ़ने के लिए आते हैं
हर रोज उन्हें प्रताड़ित किया जाता है
पता नहीं
कब मेरे देश की
सोच बदलेगी और आगे बढ़ेगी
महिलाओं का शोषण
आज भी जिंदा है
घरों में, मोहल्ले में
हर जगह
सभी जगह
क्या मेरा देश बदलेगा
बदलेगा यह सोचना…।

आजकल

आजकल सभी जगह मुझे
इंसान दिखाई नहीं देते
यह पता नहीं क्यों
इसके पीछे क्या हाथ है
वही हवस के शिकारी
लड़कियों के पीछे भागते रहते हैं
जैसे इन्होंने कभी लड़कियां देखी नहीं
क्यों ऐसा करते हैं
इस अपने समाज में
मुझे कोई बता तो दे
सोचे की जवान जवान काही हवश करताहै
पर उसके बारे में कैसे सोचे
जिसने दुनिया के कुछ ही साल देखे हैं
तीन या चार साल
वह हवस के पुजारी
तीन-चार साल की लड़की को
भी नहीं बख्स़ते
क्या यही हमारा समाज है
या फिर वह अस्सी साल की
वृद्ध औरत
उसको भी नहीं बख्शते
यह कब तक होता रहेगा
मुझे इस ज़हालत की दुनिया से
कैसे निजात पा सकता हूं
है इसका कोई जवाब
मेरे मन में बहुत सारे सवाल है
वह यह सवाल है
किस जवान लड़का जवान लड़की से
मोहब्बत भी कर सकता है
प्यार प्रेम की बातें भी कर सकता है
उसके साथ रात भी बिता सकता है
पर वह दो व तीन साल की लड़की
अर वो सत्तर अस्सी साल की बुढ़िया
क्या चल रहा है दिमाग में
अपने मुल्क लोगों में
मुझे समझ में नहीं आता
आए दिन
पूरा अखबार
इन समाचारों का भरा रहता है
क्या करें
है कोई इसका जवाब
या फिर समय परिवर्तन है
पता नहीं
मुझे नहीं समझ में आ रहा
क्या बताऊं
मेरे मुल्क के लोगों
अब मैं भी थक गया हूं
सुनते सुनते कहते कहते
पर इसका जवाब नहीं
हर रोज
सुबह से लेकर शाम तक
मेरे दिमाग में
हजारों प्रश्न घूमते हैं
उन प्रश्नों का उत्तर नहीं है
क्या करें
आखिर क्या है इनका जवाब
मुझे बताओ…

इनग्राम

एक लंबी यात्रा के बाद

एक लंबे सपने में

बहुत सी परेशानियां मुझे घेर लेती हैं.

पर नियंत्रण

एकाकी अस्तित्व के लिए

मैं बस अवर्णनीय रूप से जीया हूं।

संचार की आधुनिकता से

सुखद स्थिति

नहीं कह पाने में असमर्थ

कहीं और नहीं जा सकते

हमेशा कहीं और जाओ

विपरीत नहीं चलता

ध्यान भटकाने के क्रम में

जो कोई समस्या नहीं है

मैं जोड़ नहीं सकता

आपकी भावनाएँ बहुत समान हैं।

समय लगभग स्थिर है

मेरी मौजूदगी में ऐसा विरोधाभास

मैं उसकी गति से आहत हूं.’

अभिशाप वेक्टर प्रवाह

इस पतझड़ के समय में

आधे मन की पूरी शक्ति

संग्रह करते रहो

पूरी यात्रा में आधा विस्थापन

हमारी यात्राएँ अलग हैं।

लेकिन सभी यात्रा करते हैं

एक बड़े वृत्त का हिस्सा हैं.

जिसे यह सदी नहीं खोज सकती.

 

आंतरिक और अतीत

अफवाहें तो यही कहती हैं

चलन में नहीं हूं

लंबी यात्रा

यात्रा के कारण

मैं थकान महसूस कर रही हूँ

विलंबित

हम गहराई तक जाते हैं।

पवित्र पुष्प मालाओं के समूह गान गाते हैं।

फागुन डाल की दिशा में

अपने आप को मेरी उपस्थिति से मुक्त करो

ऋतुएँ जो चूस गईं

मन का स्वाद

जिसमें

तेजी की तरह फीका पड़ गया

नूर का अजीब रंग

हम सपनों का एक जोड़ा खरीदते हैं।

चावल के लिए एक पैसा

यह मन चित्रों की सपनों की फसल के लिए ईंधन है

और उत्तर-औपनिवेशिक राज्य

औसत उदासी

यातना के ठोस से

लुप्त हो जाना

मंच पर कूदने की आवश्यकता है?

लेकिन स्वाद के इस आनंद में

हमने निर्णय किया-

इस नींद से उस नींद तक का सेतु

इस सपने से उस सपने तक का सफर

इस दुःख को इस दुःख से दूर करो।

 

पुरुष

जब पुरुष शाम को घर लौटता है
वह केवल लौटता नहीं है
महिला के चेहरे पर खुशी
बच्चों के चेहरे पर खुशी
एक आस बन्धी
शाम की रोटी की
जिसके लिए वह
पूरे दिन कमाता है

 

Manjit Singh

मनजीत सिंह
सहायक प्राध्यापक उर्दू
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ( कुरुक्षेत्र )

यह भी पढ़ें :-

शराब | Sharab

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here