महफिल ( Mehfil ) महफिले आम न कर चाहत मे अपनी लुटेरों की बस्ती मे न बसा घर अपना बच के रह जरा ,बेरुखी जहां की नजर से इस महफिल का उजाला भी शराबी है घरौंदे से महल के ख्वाब ,ठीक नही होते दीए का उजाला भी ,भोर से कम नहीं होता ये महफिल … Continue reading महफिल | Mehfil
Copy and paste this URL into your WordPress site to embed
Copy and paste this code into your site to embed