माँ का अंश | Maa ka ansh par kavita

माँ का अंश ( Maa ka ansh )   साँसों का चलना ही जीना होता तो मकसद क्यूं बनते, आपका जाना भी मकसदों का मिटना है माँ- थोड़े और दिन तो मेरे मकसदों का हिस्सा बनते। मैंने पाया है चाहे लाख गुना, पर दिल की गुज़ारिशों के आगे सब फीके लगते, आपका अंश मैं आप … Continue reading माँ का अंश | Maa ka ansh par kavita