म्हारो गांव अलबेलो | Marwadi poem

म्हारो गांव अलबेलो ( Mharo gaon albelo )   ठंडी ठंडी भाळ चालै चालो म्हारा खेत म काकड़िया मतीरा खास्यां बैठ बालू रेत म   पगडंडी उबड़ खाबड़ थोड़ा सा मत हालज्यो गांव री गुवाड़ घूमो म्हारा चोपालां म चालज्यो   अलबेला है लोग अठै सगळो मस्तानो काम मस्ती में सगळा झूमै नाचै खेजड़ली री … Continue reading म्हारो गांव अलबेलो | Marwadi poem