है ये मिट्टी की काया | Mitti ki Kaya

है ये मिट्टी की काया! ( Hai ye mitti ki kaya )    मैंने खुद को तपा करके, जीवन को सजाया है। था कर्म मेरा अच्छा, तब जनम ये पाया है। कुदरत के आंगन में, बड़े मजे से खेला है। ये बीत गया जीवन, अब जाने की बेला है। पुरुषार्थ किया हमने, अब मोक्ष को … Continue reading है ये मिट्टी की काया | Mitti ki Kaya