मृत्युबोध | Mrityu Bodh par Kavita
मृत्युबोध ( Mrityu Bodh ) कुछ धुंवा से द्वंद मंडराने लगे हैं। मृत्यु तत्व महत्व समझाने लगे हैं।। ऐषणाओं से सने, जीवन से मुक्ति, बन मुमुक्षु अन्यथा, है मृत्यु युक्ति,। अनसुनी सी बात बतलाने लगे हैं।। मृत्यु तत्व० जीवन है आशा, निराशा मृत्यु ही है, सिंधु में रहता है प्यासा, मृत्यु ही है। युद्ध … Continue reading मृत्युबोध | Mrityu Bodh par Kavita
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