मुहब्बत की मिली ये कब दवा है | Poetry on muhabbat
मुहब्बत की मिली ये कब दवा है ( Muhabbat ki mili ye kab dava hai ) मुहब्बत की मिली ये कब दवा है मिली बस नफ़रतों की ही जफ़ा है मिलें है ग़म मुहब्बत के वफ़ा में निकलती दिल से आहें अब सदा है सलामत वो रहे बस हो जहां भी … Continue reading मुहब्बत की मिली ये कब दवा है | Poetry on muhabbat
Copy and paste this URL into your WordPress site to embed
Copy and paste this code into your site to embed