मुहब्बत का गुल | Muhabbat ki Poetry
मुहब्बत का गुल ( Muhabbat ka gul ) करे तेरा रोज़ ही इंतिज़ार है गीता हुआ दिल तो खूब ही बेक़रार है गीता ख़फ़ा होना छोड़ दे तू मगर ज़रा दिलबर मुहब्बत की ही कर देगी बहार है गीता बना ले तू उम्रभर के लिये अपना मुझको मुहब्बत में तेरी डूबी बेशुमार है गीता … Continue reading मुहब्बत का गुल | Muhabbat ki Poetry
Copy and paste this URL into your WordPress site to embed
Copy and paste this code into your site to embed