मुझको मेरी ज़मीं पे रहने दो | Ghazal

मुझको मेरी ज़मीं पे रहने दो ( Mujhko meri zameen pe rehne do )     ‘हाँ मैं हूँ’ इस यकीं पे रहने दो। मुझको मेरी ज़मीं पे रहने दो।   पोछ लो अपने आस्ताँ का लहू, दाग़ मेरी जबीं पे रहने दो।   तेरी यादों से ही उजाला है, चाँद को अब वहीं पे … Continue reading मुझको मेरी ज़मीं पे रहने दो | Ghazal