मुखड़ा देखो गुलाब है जिसका | Ghazal Mukhda Dekho

मुखड़ा देखो गुलाब है जिसका ( Mukhda dekho gulab hai jiska )   मुखड़ा देखो गुलाब है जिसका हाँ उड़ा जो नकाब है जिसका   पी जाऊं मैं नशा समझकर के हुस्न लगता शराब है  जिसका   भेज रब जीस्त में उसको मेरी चेहरा जो आफ़ताब है जिसका   वो हक़ीक़त में घर आए मिलने … Continue reading मुखड़ा देखो गुलाब है जिसका | Ghazal Mukhda Dekho