मुखड़ा देखो गुलाब है जिसका
( Mukhda dekho gulab hai jiska )
मुखड़ा देखो गुलाब है जिसका
हाँ उड़ा जो नकाब है जिसका
पी जाऊं मैं नशा समझकर के
हुस्न लगता शराब है जिसका
भेज रब जीस्त में उसको मेरी
चेहरा जो आफ़ताब है जिसका
वो हक़ीक़त में घर आए मिलने
आया ख़त जो ज़नाब है जिसका
भेज दे रब उसे जीवन में तू
रोज़ आता जो ख़्वाब है जिसका
फ़ूल वो रब लिखे मेरे आंगन
की महकता शबाब है जिसका
हाल दिल का कैसे पूछे अपनो
फ़ोन आज़म ख़राब है जिसका