नर से नारायण | Nar se Narayan

नर से नारायण  ( Nar se narayan )    कहां गया, मेरा वह बचपन सारे खेल खिलौने, समय आज का लगता जैसे कितने क्रूर धिनौने। साथ बैठना उठना मुस्किल मुस्किल मिलना जुलना, सबमें तृष्णा द्वेष भरा है किससे किसकी तुलना। बात बात पर झगड़े होते मरते कटते रहते कभी नही कोई कुछ करते जो कुछ … Continue reading नर से नारायण | Nar se Narayan