नर से नारायण | Nar se Narayan
नर से नारायण
( Nar se narayan )
( Nar se narayan )
ठहराव ( Thaharaav ) मुझे तो चलना ही होगा आप चले या ना चलें आपके खातिर मैं रुक नहीं सकता हालांकि आपको छोड़ना भी नहीं चाहता सफर दूर का है फासला बहुत है भरोसा नहीं कल के फजर का मगरिब से पहले पहुंचना है मुकाम तक चलना है मुझे इसी जिद्दी से भरम पालकर…
आत्महत्या बुजदिलों का काम ( Aatmahatya buzdilon ka kam ) आत्महत्या करना बुजदिलों का काम, कोई नहीं करें यह शैतानों वाला काम। यह आत्महत्या कोई समाधान नहीं है, कष्ट एवं परेशानी का निवारण नहीं है।। हौंसला एवं हिम्मत रखों सब हृदय में, हार और जीत चलती रहतीं जीवन में। खट-पट गिरना व…
मां-बाप बेवजह बदनाम होते है ( Maa-baap bewajah badnaam hote hai ) शिक्षा संस्कार देते हमें अंगुली पकड़ सीखलाते हैं। लाड प्यार से पालन करते वो प्रेम सुधा बरसाते हैं। उन्नति मार्ग सदा दिखलाते बीज संस्कारी बोते हैं। भली सीख देते मां-बाप बेवजह बदनाम होते हैं। संघर्षों से खुद भीड़ जाते शीतल…
भिखारी ( Bhikhari ) फटे पुराने कपड़ों में मारे मारे फिरते हैं भिखारी, इस गांव से उस गांव तक इस शहर से उस शहर तक न जाने कहां कहां ? फिरते हैं भिखारी । अपनी भूख मिटाने/गृहस्थी चलाने को न जाने क्या क्या करते हैं भिखारी? हम दो चार पैसे दे- अनमने ढंग से…
पुनीत पर्व शरद पूर्णिमा ( Puneet parva sharad purnima ) ज्योत्स्ना मचल रही,अमिय वृष्टि करने को षोडश कला सोम छवि, अनूप कांतिमय श्रृंगार । स्नेहिल मोहक सौंदर्य, अंतर सुरभिमय आगार । धरा रज रज भावविभोर, तृषा तृप्ति कलश भरने को । ज्योत्स्ना मचल रही, अमिय वृष्टि करने को ।। पटाक्षेप काम क्रोध द्वेष, शीतलता…
प्रकृति की सीख ( Prakriti ki seekh ) बदलना प्रकृति की फितरत फिर क्यों इंसान हिस्सेदार हैं। प्रकृति के बदलने में कहीं ना कहीं इंसान भी बराबर जिम्मेदार हैं। जैसे तप और छाया देना प्रकृति का काम हैं। वैसे ही कभी खुशी कभी गम, जिंदगी का नाम हैं। कभी कबार पूछता, आसमां…