नारी क्यों | Nari Kyon

नारी क्यों ( Nari Kyon )    हर रचना के केन्द्र बिन्दू में नारी क्यों हैं। दिखती हैं कल्याणी पर,लाचारी क्यों हैं। बेबस सी मजबूर दिखा दो चाहे जितना, हर पापों का अन्त करे वो,काली क्यो हैं। रसवन्ती कचनार दिखे,मनभावनी क्यों है। हर पुरूषों की चाहत लगती, कामी क्यों हैं। जैसा जिसने देखा वैसी नजर … Continue reading नारी क्यों | Nari Kyon