जो ज़ख़्म बेनिशां थे वो नासूर हो गए

जो ज़ख़्म बेनिशां थे वो नासूर हो गए हम क्या ह़रीमे-नाज़ से कुछ दूर हो गए।जो ज़ख़्म बेनिशां थे वो नासूर हो गए। सब इ़ज्ज़ो-इन्किसार ही काफ़ूर हो गए।मसनंद नशीं वो क्या हुए मग़रूर हो गए। बेचैन उनके इ़श्क़ ने इतना किया के बस।हम उनसे बात करने को मजबूर हो गए। वो संग थे यूं … Continue reading जो ज़ख़्म बेनिशां थे वो नासूर हो गए