टूट गई | नवगीत

टूट गई | नवगीत   साँप मरा ना घुन खायी सी , लाठी टूट गई . जिनकी खातिर आँख फुड़ाई , कहें वही काना . उतना ही वह दुःख भोगता , जो जितना स्याना . चने उगें भी नहीं बतीसी , पहले टूट गई . सीना चीर दिखाया लेकिन , गई नहीं शंका . कंलक … Continue reading टूट गई | नवगीत