धन्य कब होंगे नयन अधीर | Nayan Adheer
धन्य कब होंगे नयन अधीर ! ( Dhanya kab honge nayan adheer ) न आये देव दीन के द्वार। तृषित उर को दे सका न तोष, तुम्हारा करुणा पारावार। न आये देव दीन के द्वार। निराशा का न हुआ अवसान, हुई आशायें प्रतिपल क्षीण। भग्न होते जाते स्वर तार, करुण क्रन्दन करती हृदवीण। प्रतीक्षा … Continue reading धन्य कब होंगे नयन अधीर | Nayan Adheer
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