हर लम्हा ( Har Lamha ) छुपकर क्या देखता है तमाशा मेरी तबाही का आंख मिलाकर लुत्फ उठा किस्सा ए रुसवाई का हर कदम जिंदगी से नसीहतें पा रहा हूं मैं हर लम्हा अनुभवों की दौलतें सजा रहा हूं मैं हर सांस के अहसान की कीमत चुकाई है मैंने हर रिश्ते की अहमियत खुद को … Continue reading हर लम्हा | Nazm Har Lamha
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