निवातिया की शायरी | Nivatiya ki Shayari
गिले और शिकवे मिटाने बहुत है सुनाने को यारो फ़साने बहुत है, सुने कौन सभी के बहाने बहुत है ! मुसीबत अनेको उठानी पड़ेगी, सर-ए-राह कांटे हटाने बहुत है ! बेताबी दिखाओ अभी से न इतनी, मिलन के हसीं दौर आने बहुत है ! सनम ना चुराओ निगाहें शरम से, हमें साथ मिल गुल खिलाने … Continue reading निवातिया की शायरी | Nivatiya ki Shayari
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