न्याय चले खाट~खट

न्याय चले खाट~खट भरे बाजार न्याय बिकने तैयार l पहन काला कोट दलाल खड़े दो~चार l मस्त ग्राहकों की है मगर दरकार l जिनकी जेब में हो दौलत बेशुमार l भ्रष्टाचारी~ माफिया, नेता इनके हैं यार l मुंह मांगी कीमत दे ऐसा हो खरीददार l ऐसा पापी न्याय बिके सरे बाजार l जनता हो खबरदार … Continue reading न्याय चले खाट~खट