ओढ़कर धानी चुनरिया | Thesahitya Special
ओढ़कर धानी चुनरिया ( Odh Ke Dhani Chunariya ) ओढ़कर धानी चुनरिया, धरा यू हरसा रही। काली घटाएं नीले अंबर, व्योम घिरकर छा रही। आ गया सावन सुहाना, गीत कोयल गा रही। वन उपवन पर्वत नदियां, भावन घटायें छा रही। मादक सरितायें बहती, सागर मिलन को जा रही। बलखाती सी बहती धारा, … Continue reading ओढ़कर धानी चुनरिया | Thesahitya Special
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