ओज भरी हुंकार | Kavita oj bhari hunkar

ओज भरी हुंकार ( Oj bhari hunkar )   मैंने लिखे गीत तराने मधुर मधुर मुस्कान लिए। अंतर्मन भाव सुहावने भारत मां की शान लिए।   राष्ट्रदीप ले स्वाभिमान के भाव सजाया करता हूं। मन मंदिर में दिव्य प्रेम के दीप जलाया करता हूं।   मैं कविता की हूंकारों से गीत वतन के गाता हूं। … Continue reading ओज भरी हुंकार | Kavita oj bhari hunkar