ऊन का चोला | Ooni kapda par kavita

ऊन का चोला ( Oon ka chola)      यह बदन है सभी का भैया मिट्टी का ढेला, ना जानें कब हो जाऍं किसका फिसलना। शर्म ना कर प्राणी पहन ले ऊन का चोला, बिठूर रहा है बदन जरा संभलकर चलना।।   पहनकर घूमना फिर चलना चाहें अकेला, हॅंसना-हॅंसाना पहनकर फिर तू उछलना। न करना … Continue reading ऊन का चोला | Ooni kapda par kavita