और क्रंदन

और क्रंदन     थकित पग में अथक थिरकन  और क्रंदन। आंसुओं का बरसा सावन और क्रंदन।।   हृदय से उस चुभन की आभास अब तक न गयी। सिंधु में गोते लगाये प्यास अब तक न गयी ।।   बढ़ रही जाने क्यूं धड़कन और क्रंदन । थकित बालक समझ मुझको धूल ने धूलित किया … Continue reading और क्रंदन