” पागल “ ( Pagal ) दरद के आग बा ओके दिल में, रोये ला दिन रात देख- देख के लोग कहेला, पागल जाता बडबडात रहे उ सिधा साधा, माने सबके बात लूट लेलक दुनिया ओके, कह के आपन जात आज ना कवनो बेटा-बेटी, नाही कवनो जमात नाही पाकिट में एगो रोपया, … Continue reading पागल | Pagal Bhojpuri kavita
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