पहचान | Pahchan par Bhojpuri Kavita
पहचान ( Pahchan ) हम बिगड़ गइल होती गुरु जी जे ना मरले होते बाबु जी जे ना डटले होते भइया जे ना हमके समझइते आवारा रूप में हमके पइते बहिन जे ना स्नेह देखाइत माई जे ना हमके खियाइत झोरी में ना बसता सरीयाइत आवारा रूप में हमके पाइत सुते में हम रहनी … Continue reading पहचान | Pahchan par Bhojpuri Kavita
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