पाकीज़गी | Pakizagi

( पाकीज़गी )  Pakizagi   दर्द को उडेलने से अच्छा है उसे पी लिया जाय जीना है उसी हाल में, तो क्यों न जी लिया जाय कौन अलहदा है, गम की मौजूदगी से यहाँ तो क्यों न उसी को, सफ़ीना मान लिया जाय कोई रहबर नही यहाँ के,इस कतलखाने मे मरना हि तय है , … Continue reading पाकीज़गी | Pakizagi