पर्यावरण की व्यथा | Paryavaran ki Vyatha

पर्यावरण की व्यथा ( Paryavaran ki vyatha )   बहुत दुखी हैं आज प्रकृति। सबसे अपनी व्यथा कहती, कोई सुने इसकी गुहार, बंद करें इसका संहार। पल पल पीड़ा को सहती, बहुत दुखी हैं आज प्रकृति। अपनी जरुरत की खातिर, क्युॅ॑ चलाते धार हथियार। इसे भी तो कष्ट होता, कभी समझें इसका प्यार। सभी को … Continue reading पर्यावरण की व्यथा | Paryavaran ki Vyatha