पाती धड़कनों की | Pati Dhadkano ki

पाती धड़कनों की ( Pati dhadkano ki )    दिल की स्याही में पिरो- पिरो कर जज़्बातों का रस घोल- घोल कर – भाषा का मधु उड़ेल कर मोती जड़े अक्षरों का जादू बिखेर कर- छलकती- महकती जब पहुंँचती थी चिठिया पाने वाला इस रंगीन जादू से तरबतर हो जाता था खुद महकता- परिवेश को … Continue reading पाती धड़कनों की | Pati Dhadkano ki