पायल ( Payal ) कहीं सीमा का बंधन देखो कहीं रात अलबेली है पैरों की पायल है मेरी या जंजीर की बेडी है रुके रुके कदमों से देखो अठखेली ये करती है रुनझुन रुनझुन करते करते सांझ सलोनी कटती है छम छम करता बचपन बीता झनक झनक करते यौवन छनक छनक सी … Continue reading पायल | Payal kavita
Copy and paste this URL into your WordPress site to embed
Copy and paste this code into your site to embed