फ़र्क नहीं पड़ेगा | Poem fark nahi padega
फ़र्क नहीं पड़ेगा ( Fark nahi padega ) बहुत सारी खामियां है मुझमें तो क्या हुआ……? तुमने कभी उन ख़ामियों को क्या मिटाना चाहा कभी….? नहीं ना…….! तुम चाहते ही नहीं थे कभी कि हम भी उभर पाएं और तुम्हारे साथ खड़े हो सकें तुमने चाहा ही नहीं ऐसा कभी हम तुम्हारे साथ … Continue reading फ़र्क नहीं पड़ेगा | Poem fark nahi padega
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