
फ़र्क नहीं पड़ेगा
( Fark nahi padega )
बहुत सारी खामियां है मुझमें
तो क्या हुआ……?
तुमने कभी उन ख़ामियों को
क्या मिटाना चाहा कभी….?
नहीं ना…….!
तुम चाहते ही नहीं थे
कभी कि हम भी उभर पाएं
और तुम्हारे साथ खड़े हो सकें
तुमने चाहा ही नहीं ऐसा कभी
हम तुम्हारे साथ चल सकें……!
हममें बस इतनी ही कमी है कि
हम हमेशा तुम्हारा साथ चाहते थे
हमने सिर्फ़ तुम्हारी खैरियत चाही
लेकिन क्या कभी तुमने
चाहा है कभी मन से………!
ठीक है……! जैसा तुम चाहो
हमने कभी तुमसे
कुछ नहीं चाहा सिर्फ़ प्यार के
लेकिन तुम तो वो भी नहीं दे पाए
हम उससे भी वंचित रह गए………!
तुम्हें तो इतना भी हक़ नहीं है कि
पूछ सको मुझसे कि कैसे हो
कैसे गुज़र रही है जिंदगी…..?
तुम्हें क्या….? तुम मौज करो
हम तो काट लेंगे जैसे -तैसे
कोई ख़ास फ़र्क नहीं पड़ेगा मुझे……..!!