फिर भी मेरा मन प्यासा | Geet mera man pyasa
फिर भी मेरा मन प्यासा ( Phir bhi mera man pyasa ) मृगतृष्णा वासना न छूटी छूटी निज जिज्ञासा। कितने सरोवर मन में बसते फिर भी मेरा मन प्यासा।। जीवन को ज्वाला में तपते देखा है, लज्जा को घूंघट में सिसकते देखा है, उदर में रखा दूध पिलाया बड़ा किया, उसको भी … Continue reading फिर भी मेरा मन प्यासा | Geet mera man pyasa
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