फिर कोई तस्वीर | Phir Koi Tasveer

फिर कोई तस्वीर ( Phir Koi Tasveer ) आज सतह -ए- आब पर इक अक्स लहराने लगाफिर कोई तस्वीर बन कर सामने आने लगा जब से हम को देखकर इक शख़्स शर्माने लगादिल न जाने क्या हमें मफ़्हूम समझाने लगा खिल उठे हैं जब से मेरे घर के गमलों में गुलाबमेरे घर के रास्तों पर … Continue reading फिर कोई तस्वीर | Phir Koi Tasveer