फिर वही बात! ( Phir Wahi Baat ) ***** फिर वही बात कर रही है वो, चाहता जिसे भुलाना मैं था वो। ले गई मुझे उस काल कोठरी में, जिसे बांध गांठ , टांग आया था गठरी में। जाने बात क्या हो गई है अचानक? बार बार उसे ही दुहरा रही है, मेरी इंद्रियां समझ … Continue reading hindi kavita -फिर वही बात!
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