फूल बिछाना आ गया | Phool Bichana aa Gaya
फूल बिछाना आ गया ! ( नज़्म ) तेरे आते ही मौसम सुहाना आ गया, इनकार में इकरार का जमाना आ गया। वही रस, वही लहजे में खनक, वही अदा, मानों फिर से अनार में दाना आ गया। मैं चुमूँगा इन जुल्फों की घटाओं को, मेरे कूचे में फिर मयखाना आ गया। छलकेगी मदिरा उन … Continue reading फूल बिछाना आ गया | Phool Bichana aa Gaya
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